भाववाचक संज्ञा

वह संज्ञा शब्द जिस से किसी व्यक्ति, वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का बोध होता हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

उदाहरण के लिए ), जैसे- लंबाई, चतुराई, नम्रता, उदारता, समझ इत्यादि ये किसी व्यक्ति या वस्तु के धर्म या गुण को प्रदर्शित करते हैं, वस्तु से अलग नही रह सकता। इस तरह की संज्ञा से एक ही भाव का बोध होता है। 

इस संज्ञा का  बोध होता है और बहुुुवचन प्रायः नही होता है।

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण प्रायः विशेषण के अंत मे ई, पन, हट, वा, पर, स प्रत्यय जोड़ने से किया जा सकता है। संस्कृत धातु के अंत मे ता, त्व प्रत्यय जोड़ा जाता है। अब भाववाचक संज्ञाओं के निर्माण की प्रक्रिया को अत्यंत वैज्ञानिक रूप प्रदान किया गया है।

जैसे उदाहरण के लिए- 

(अ) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा निर्माण,

जातिवाचक संज्ञा प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
बच्चा पन बचपन
बूढा पा बुढापा
इंसान इयत इंसानियत
डाकू ऐती डकैती
शैतान शैतानी
नारी त्व नारीत्व
माता त्व मातृत्व
लड़का पन लड़कपन

(ब) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा निर्माण

सर्वनाम प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
अपना पन अपनापन
अहं कार अहंकार
स्व त्व स्वत्व

(स) विशेषण से भाववाचक संज्ञा निर्माण

विशेषण प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
बड़ा पन बड़प्पन
छोटा पन छुटपन
ठंडा अक ठंडक
अच्छा अच्छाई
सुन्दर ता/ र्य सुंदरता/ सौन्दर्य

(द) क्रिया से भाववाचक संज्ञा निर्माण

क्रिया प्रत्यय भाववाचक संज्ञा
लिखना लिखाई/ लेख
दौड़ना दौड़
झगड़ना झगड़ा
थकना आन/आवट थकान/थकावट
धोना आई धुलाई

अगले भाग मे हम संंज्ञा के विकार जैसे  लिंंग, कारक, और वचन के बारे जानेंगे।

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