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भारतीय संविधान: अनुच्छेद, संशोधन और नीति निदेशक तत्त्व (DPSP) – पूरा विस्तृत लेख

constitution of india

भारतीय संविधान विश्व के सबसे विस्तृत और व्यापक संविधानों में से एक है। इसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य, शासन व्यवस्था, न्यायपालिका की शक्तियाँ, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध, नीति निर्धारण के सिद्धांत और देश की प्रशासनिक संरचना को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है। नीचे संविधान के तीन महत्वपूर्ण भाग—अनुच्छेद (Articles), संशोधन (Amendments) और नीति निदेशक तत्त्व (DPSP)—को स्पष्ट, सुव्यवस्थित और परीक्षा उपयुक्त तरीके से समझाया गया है।

1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद (Articles)

भारतीय संविधान मूल रूप से 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियों में विभाजित था। समय के साथ नए संशोधनों और परिवर्तनों के बाद अनुच्छेदों की संख्या बढ़ी है। नीचे प्रमुख अनुच्छेदों का विषयवार सार दिया गया है:

1.1 मूल अधिकार (Fundamental Rights) – अनुच्छेद 12 से 35

1.2 राज्य का संगठन – अनुच्छेद 1 से 4

1.3 केंद्र और राज्य सरकार – महत्वपूर्ण अनुच्छेद

1.4 केंद्र–राज्य संबंध

2. भारतीय संविधान के संशोधन (Constitutional Amendments)

संविधान में बदलाव या सुधार “संशोधन” के माध्यम से किए जाते हैं। भारत में अब तक 100+ संशोधन हो चुके हैं। कुछ बेहद महत्वपूर्ण संशोधन नीचे दिए गए हैं:

2.1 महत्वपूर्ण संशोधन

3. नीति निदेशक तत्त्व (Directive Principles of State Policy – DPSP)

DPSP संविधान के Part IV (अनुच्छेद 36–51) में शामिल हैं। ये सरकार के लिए नीति-निर्देशन का मार्गदर्शक ढांचा प्रदान करते हैं। ये न्यायालय में बाध्यकारी नहीं होते, परंतु शासन के लिए मूलभूत सिद्धांत माने जाते हैं।

3.1 सामाजिक और आर्थिक सिद्धांत

3.2 गांधीवादी सिद्धांत

3.3 उदार एवं आधुनिक सिद्धांत

3.4 अनुच्छेद 51

भारत की विदेश नीति के लिए दिशा-निर्देश — अंतरराष्ट्रीय शांति, सम्मान, न्यायपूर्ण संबंध।

4. DPSP और मौलिक अधिकार का संबंध

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) नागरिकों को स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि DPSP सरकार को सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा निर्धारित करने में मार्गदर्शन देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि “दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू” हैं।

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